Notes on Mahatma Gandhi : महात्मा गाँधी के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं
दोस्तो इस पोस्ट में हम आपको महात्मा गाँधी (Mahatma Gandhi) जी के जीवन और जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों से अवगत कराएंगे, जो की प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।
इनके पिता का नाम करमचन्द गांधी था जो कि राजकोट शहर में दिवान थे। इनकी माता का नाम पुतली बाई था। 1883 ई० को इनका विवाह 14 वर्ष की अवस्था मे कस्तूरबा गाँधी से हो गया था।
महात्मा गांधी के चार पुत्र थे। जिनके नाम हरिलाल, मनिलाल, रामदास और देवदास थे। यमुना लाल बजाज को इनका पाँचवा (दत्तक) पुत्र भी कहा जाता है।
1888 में प्रथम पुत्र का जन्म तथा सितम्बर में वे अपनी उच्च शिक्षा के लिए लंदन चले गए और वहाँ वकालत की पढ़ाई (L.L.B.) की पढ़ाई पूरी करके बैरिस्टर बने।
महात्मा गांधी 1891 में बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी करके भारत वापस लौटे और बम्बई तथा राजकोट में वकालत शुरू की।
एक गुजराती में व्यापारी दादा अब्दुल्ला का केस लड़ने के लिए 18 से 93 में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका चले गए थे जहां उन्हें रंगभेद का सामना करना पड़ा।
18 सो 94 में दक्षिण अफ्रीका में रहकर भी सामाजिक कार्य करने तथा वकालत करने का फैसला किया नेटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की।
दक्षिण अफ्रीका में नोटा क्षेत्र के समीप डरबन में पीटरमार्टिन वर्ग स्टेशन पर उन्हें ट्रेन से निकाल दिया गया है, क्योंकि प्रथम श्रेणी में भारतीयों और कुत्तों को जाना मना था।
इस घटना के बाद ब्रिटिश सरकार को गांधी जी से माफी मांगने पड़ी। दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी ने भारतीयों के लिए अपना पहला सत्याग्रह किया।
1896 में गांधी जी अपने परिवार के साथ नेटाल गए।
सन 1901 में भारत वापस आने के समय दक्षिण अफ्रीका में बसे भारतीयों को आश्वासन दिया कि वे जब भी आवश्यकता महसूस करेंगे दक्षिण अफ्रीका वापस लौट आएंगे।
1902 में भारतीय समुदाय द्वारा बुलाए जाने पर महात्मा गांधी एक बार फिर दक्षिण अफ्रीका वापस लौटे।
महात्मा गांधी जी ने 1903 में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में अपना वकालत का दफ्तर खोला।
महात्मा गांधी जी ने 1904 में दक्षिण अफ्रीका में शिल्पकार कालेनवाख की मदद से फीनिक्स फर्म (Phenix form) की स्थापना किया। महात्मा गांधी ने इंडियन ओपिनियन (Indian Opinion) नामक साप्ताहिक पत्रिका लिखी जो कई भाषाओं में प्रकाशित के किंतु उसका प्रकाशन उर्दू में नहीं हुआ।
गांधीजी ने 1906 में आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया एशियाटिक ऑर्डिनेंस के विरुद्ध जोहानसबर्ग में प्रथम सत्याग्रह अभियान आरंभ किया।
सन 1907 में "ब्लैक एक्ट" - भारतीय तथा अन्य एशियाई लोगों के जबरदस्ती पंजीकरण के विरुद्ध सत्याग्रह शुरू किया।
सन उन्नीस सौ आठ में सत्याग्रह के लिए जोहानेसबर्ग में पहली बार कारावास का दंड एवं आंदोलन जारी रहा। द्वितीय सत्याग्रह में पंजीकरण प्रमाण पत्र चलाए गए एक बार फिर कारावास का दंड मिला।
महात्मा गांधी के आंदोलन के चार चरण थे।
(1) सत्याग्रह
(2) भूखहड़ताल
(3) बहिस्कार
(4) हड़ताल