माध्यमिक स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम का संगठन Organisation of Guidance Program at Secondary level
जोन्स के अनुसार - "जब माध्यमिक स्तर पर निर्देशन सेवाओ को मान्यता प्राप्त हो जाती है, तो यह आवश्यक हो जाता है कि स्टाफ के सभी सदस्य यह समुचित रूप से समझ ले कि यह एक सामूहिक कार्य है तथा यह तभी संगठित की जा सकती है जब सभी उसमे सक्रिया रूप से सहभागी होते हैं। विद्यालय प्रशासन को सर्वप्रथम इस सेवा का सम्पूर्ण ज्ञान प्रदान किए जाने की आवश्यकता है।"
संकाय का संगठन (Organisation of Faculty)
माध्यमिक स्तर पर निर्देशन कार्यक्रमों के संगठन के लिए निम्नलिखित तथ्यों पर ध्यान देना आवश्यक है-
संकाय निर्देशन समिति:-
विद्यालय में निर्देशन सेवा संगठन के समय सबसे पहले एक प्रेसीडेन्ट के रूप में प्रधानाध्यापक, के साथ एक स्थायी संकाय का संगठन किया जाना चाहिए तथा उन सभी शिक्षको को जिन्होंने कुछ प्रशिक्षण प्राप्त किया है, उन्हें इसका सदस्य बनाया जाना चाहिए।
विद्यालय का प्रधानाचार्य :-
प्रधानाचार्य को निर्देशन सेवाओ पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए । निर्देशन के सम्बन्ध में उसका स्पस्ट शिक्षा दर्शन होना चाहिए उसे प्रजातान्त्रिक परिचर्चा एवं आलेख प्रबन्धन हेतु निर्देशन समिति बुलाई जानी चाहिए। उसे छात्र शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, रोजगार अधिकारी, जिला स्तर अधिकारी एवं कालेज के अन्य लोगो से अच्छे सम्बन्ध स्थापित करने चाहिए।
परामर्शदाता
माध्यमिक विद्यालय पर्यावरण में परामर्शदाता निम्न चार कार्य करते है।
I) छात्रों को विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराना एवं उसका संगठन करना जो शैक्षिक एवं व्यावसायिक योजना एवं निर्णय लेने में आवश्यक व्यवस्था करता है।
II) कक्षागत पाठ्यक्रम का संगठन एवं उसे प्रस्तुत करना जो किशोर के विकास पर ध्यान केन्द्रित करता है।
III) छात्रो की व्यक्तिगत विशेषताओं के आकलन में सहायता करना।
IV) छात्रों की विशिष्ट सहायता हेतु उपचारात्मक हस्तक्षेप प्रदान करना। परामर्शदाता का कार्य शिक्षक द्वारा पूर्ण किया जाता है जो परामर्शदाता का एक वर्ष का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया होता है।
शिक्षक
शिक्षक छात्रो का मित्र, पथ प्रदर्शक एवं नेता होता है। अपने ही विषय में शिक्षण में शिक्षक छात्रों को व्यावसायिक सूचनाएं प्रदान करता है। उसे विभिन्न प्रकार की सूचनाओ का ज्ञान होना चाहिए जो उसके अध्ययन पर प्रभाव डालता है- जैसे - बौद्धिक स्तर, सामाजिक सम्पर्क स्तर, स्वास्थ एवं आर्थिक समस्याए आदि ।
विद्यालय मनोवैज्ञानिक :-
विद्यालय परामर्शदाता बहुत सी गतिविधियों में व्यस्त रहता है। इसलिए प्रत्येक विद्यालय में एक समय पर या विद्यालयों के एक समूह के लिए मनोवैज्ञानिक की नियुक्ति की जानी चाहिए जो आवश्यक मनोवैज्ञानिक परीक्षण या उनकी व्याख्या कर सके। यह कार्य उच्च तकनीकी पूर्ण होने के कारण इस पद पर एक योग्य व्यक्ति को नियुक्त किया जाना चाहिए। वह सदैव परामर्शदाता के लिए सहायक के रूप में रहेगा।
विद्यालय का स्वास्थ विभाग:-
एक नियम के अनुरूप प्रत्येक बड़े विद्यालय में पूर्ण कालिक रूप से एक डॉक्टर, एक दन्तविशेषज्ञ, भाषा वैज्ञानिक एवं एक नर्स होनी चाहिए। हालाकि यह स्तर परिपक्व नहीं है। इसलिए सरकार को चाहिए कि डॉक्टर को अस्पताल में नियुक्त करे जो छात्रों को सहायता प्रदान करने के लिए विद्यालय आये।
लाइब्रेरियन :-
लाइब्रेरियन एक सीमा तक पुस्तके एकत्रित करने, जर्नल्स एवम निर्देशन के पम्फलेट व्यावसायिक सूचनाएँ एवं छात्रों के उपयोग हेतु आवश्यक सहायता प्रदान करने में सहायक हो सकता है।
माध्यमिक स्तर पर निर्देशन प्रदान करने के उद्देश्य
माध्यमिक स्तर पर निर्देशन प्रदान करने के उद्देश्य निम्नलिखत है-
- व्यक्ति को समझना एवं उसकी योग्यताओ, रुचियो एवं आवश्यकताओ के आंकलन करने में सहायता करना।
- बालको को समुदाय एवं विद्यालयों में संसाधनों एवं सुविधाओं से परिचित कराना, जो उनकी सूचनाओ एवं अनुभवो के लिए उपलब्ध रहते है।
- अपनी ऊर्जा को बुद्धिपूर्वक निर्देशित करने में सहायता करने एवं अवसरों के उच्चतम उपयोग को सम्भव बनाने में छात्रों की सहायता करना।
- उन्हें अपने अनुभवो का मूल्यांकन, उद्देश्यों को स्पष्ट करने तथा भविष्य की योजनाओ का निर्माण करना।
- छात्रो को अपनी व्यावसायिक क्षमता मापने व उपयुक्त रोजगार पाने में सहायता करना।
- छात्रों के विषय में समस्त प्रासंगिक जानकारी एकत्रित करना।
- सामूहिक एवं सम्पूर्ण समुदाय के द्वारा छात्र समस्याओं का हल करना।
- समस्त बौद्धिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने के अवसर उपलब्ध कराने के लिए।
उपरोक्त उद्देश्यों के आधार पर कह सकते है कि माध्यमिक स्तर पर विद्यालय निर्देशन कार्यक्रम छात्रों में विषयगत कठिनाइयो को हटाकर तथा अच्छी अधिगम आदतो का विकास करके शैक्षिक कार्य में प्रगति करने में छात्रो की सहायता करते है।
निर्देशन कार्यक्रम के लाभ
गिब्सन के अनुसार, " विकासात्मक एक व्यापक विद्यालय के निर्देशन क्रार्यक्रम न केवल छात्रों को लाभ पहुंचाते है बल्कि यह अभिभावक, शिक्षक, प्रशासन एवं व्यापार समुदाय के लिए भी लाभदायक होता है।"
विभिन्न समूहों के लिए इसके लाभ निम्नलिखित है-
छात्र :-
छात्रों के लिए इसके निम्नलिखित लाभ है-
- आत्मज्ञान में वृद्धि एवं दूसरों से प्रभावी रूप सम्बन्धित करते है।
- परिवर्तनशील वातावरण में ज्ञान को व्यापक बनाना । उन्हें उनकी पूर्ण शैक्षिक क्षमता एवं पहुंचाने में सहायता करना।
- उत्तरदायित्वपूर्ण व्यवहार सिखाता है।
माता-पिता :-
छात्रों के माता-पिता के लिए इसके निम्नलिखित लाभ है-
- छात्र की जगकतो एवं शैक्षिक उद्देश्यों को सम्बोधित करने के लिए एक अन्तः विषयक टोली उपागम को बढावा देता है।
- बालाको की शिक्षा के क्षेत्र में अभिभावको की भागीदारी के अवसर बढ़ जाते है।
- छात्र शिक्षा एव कैरियर योजना के लिए सक्रिय भागीदारी का समर्थन करता है।
- छात्र प्रगति के विषय में सूचनाओं के डेटा प्रदान करता है।
शिक्षक:-
शिक्षको के लिए इसके प्रमुख लाभ निम्न है-
- छात्रो की आवश्यकताओ एवं शैक्षिक लक्ष्यों की पहचान के लिए शिक्षक एक अन्तः विषयक टोली उपागम को बढावा देता है।
- अन्य शिक्षकों एवं माता-पिता के साथ सहयोगात्मक रूप से कार्य करने के अवसर प्रदान करता है।
- कक्षा, प्रबन्ध कौशल के विकास का समर्थन करता है।
व्यवस्थायक :-
व्यवस्थापक के लिए निर्देशन कार्यक्रम के लाभ निम्नलिखित है-
- समुदाय में विद्यालय की छवि का निर्माण एवं विद्यालय के सामान्य स्वरूप में सुधार करना।
- व्यवस्थित मूल्यांकन के लिए अनुमति प्रदान करना ।
- एक एसी संरचना प्रदान करना जिसकी सरलता से जाँच की जा सके।
- एक गत्यात्मक विद्यालय निर्देशन पाठ्यचर्या प्रदान करना जो छात्रो की आवश्यकताएँ पहचान सके तथा विद्यालय वातावरण में वृद्धि कर सके।
व्यापार, उद्योग, श्रमबाजार:-
इसके लिए निर्देशन कार्यक्रम के लाभ इस प्रकार है-
- सकारात्मक दृष्टिकोण एवं आवश्यक कौशल वाले व्यक्ति को व्यावसायिक क्षमता प्रदान करना।
- एक संसाधन व्यक्ति के रूप में परामर्शदाता की भूमिका को बढाता है।
- कार्यात्मक संसार के लिए छात्रो को कैरियर मेलो एवं अन्य कैरियर निर्देशन गतिविधियों के माध्यम से तैयार करने के लिए शिक्षको के साथ सहयोग के अवसर उपलब्ध कराता है।
- विद्यालयों के सभी कार्यक्रमो में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए व्यापार, उद्योग एवं श्रम के लिए अवसरों की वृद्धि करता है।
निष्कर्ष :-
विद्यालय निर्देशन का संसार के समस्त देशों में बहुत तीव्रता से विकास हो रहा है। माध्यामिक विद्यालय में परामर्शदाता के रूप में चुनौतियों एवं विशिष्ट मुद्दों की विशेषतया पहचान चर्चा एवं प्रबन्धित किए जा रहे है।माध्यमिक स्तर पर, छात्रो में परीक्षा में अच्छे नम्बर लाने, एक उज्ज्वल भविष्य हेतु व्यवसायिक विकल्प का चयन करने के लिए उनके मध्य प्रतिस्पर्धा होती है। जिससे छात्रों के मध्य निराशा बढती है।
ऐसे परिदृश्य में छात्रों को स्वयं की योग्यताओं को जानने, तनाव एव समस्याओं से बाहर आने तथा उन्हें सुचारु रूप से शैक्षिक सत्र को पास करने के लिए उनकी सहायता करने में विद्यालय शैक्षिक निर्देशन कार्यक्रमों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
अतः यह सिफारिश की गई कि प्रत्येक विद्यालय में उचित निर्देशन इकाई होनी चाहिए तथा छात्रों की विभिन्न समस्यायों के समाधान के लिए इसे पर्याप्त रूप से सहायता के रूप से कार्य करना चाहिए जो शिक्षा की सम्पूर्ण गुणवत्ता की वृद्धि में सहायता करेगा।