कॉम्टे का प्रत्यक्षवाद । Auguste Comte Theory Of Positivism

कॉम्टे का प्रत्यक्षवाद


प्रत्यक्षवाद Positivism के जन्मदाता कॉम्टे ने प्रत्यक्षवाद की धारणा को अनेक रूपों में व्यक्त किया है। उसके कुछ विचार पूर्णतया सिद्धान्तों पर आधारित हैं, लेकिन उसके द्वारा प्रतिपादित अनेक ऐसे भी विचार हैं जो पूर्णतया प्रत्यक्षवादी नहीं हैं। सम्भवतया इसीलिए कहा जाता है - "प्रत्यक्षवाद का जन्मदाता, मनुष्यों में कम प्रत्यक्षवादी है।"


कॉम्टे के अनुसार प्रत्यक्षवाद का एक अर्थ वैज्ञानिक है। आपका कथन है कि सभी घटनाओं को वास्तविक रूप में या प्रत्यक्ष तौर पर निरीक्षण, परीक्षण, वर्गीकरण आदि को व्यवस्थित या वैज्ञानिक प्रणाली के आधार पर समझा जा सकता है। वैज्ञानिक प्रणाली से सब कुछ समझना ही प्रत्यक्षवाद है और यही कॉम्टे की विचारधारा का आधार है। बाद में यही प्रत्यक्षवाद कॉम्टे का धर्म बन जाता है। सब तो यह है कि कॉम्टे का प्रत्यक्षवाद एक ऐसी जटिल अवधारणा है जिसका न कोई एक निश्चित अर्थ है और न ही निश्चित प्रणाली। चैम्बलिस (Chambliss) ने कॉम्टे के प्रत्यक्षवाद की जटिलता को व्यक्त करते हुए ठीक ही लिखा है -


"कॉम्टे का प्रत्यक्षवाद उच्च स्तरीय अमूर्त धारणा है। धर्म, लोकतन्त्र, रूढ़ियाँ आदि अन्य ऐसी ही गुणवादी धारणाओं की भाँति इसके भी अनेक अर्थ हो सकते हैं। अतः इसका अर्थ स्पष्ट नहीं हो सकता।"

कुछ भी हो, संक्षेप में प्रत्यक्षवाद की धारणा को निम्न प्रकार व्यक्त किया जा सकता है- "निरीक्षण, परीक्षण, वर्गीकरण आदि पर आधारित वैज्ञानिक विधियों के द्वारा घटनाओं का अध्ययन व विश्लेषण तथा उन घटनाओं को संचालित व निर्देशित करने वाले निश्चित नियमों का पता लगाना ही प्रत्यक्षवाद है।"


प्रत्यक्षवाद की आधारभूत विशेषताएं
(Basic Characteristics of Positivism)


प्रत्यक्षवाद की आधारभूत विशेषताएं निम्न है 

(1) निश्चित नियम सामाजिक घटनाओं के लिए उत्तरदायी है (Invariable Laws are Responsible for Social Phenomena)

प्रत्यक्षवाद की प्रथम व प्रमुख मान्यता यह है कि प्राकृतिक घटनाओं की भाँति सामाजिक घटनाएँ आकस्मिक नहीं होतीं। सब तो यह है कि सामाजिक तथ्यों में भी कुछ सुनिश्चित नियमों के आधार पर परिवर्तन होता रहता है। पृथ्वी की गति, सूर्य का उदय और अस्त होना, ऋतुओं का आना-जाना, दिन-रात का चक्र आदि सभी प्राकृतिक घटनायें आकस्मिक नहीं है, वरन् निश्चित नियमों से बंधी हुई है और अनुभव, परीक्षण, प्रयोग, वर्गीकरण आदि की व्यवस्थित प्रणाली द्वारा इन घटनाओं को निर्देशित करने वाले निश्चित नियमों का पता लगाना सम्भव है। वास्तव में ज्ञान उपलब्ध करने का तरीका एक ही है, उसकी शाखायें भिन्न-भिन्न हो सकती हैं। इस प्रकार प्रत्यक्षवाद सामाजिक घटनाओं को कुछ निश्चित सामाजिक नियमों से संचालित व निर्देशित मानता है अर्थात् प्रत्यक्षवाद के अनुसार निश्चित नियम सामाजिक घटनाओं के लिए उत्तरदायी हैं।


(2) वास्तविक ज्ञान (Real Knowledge) प्रत्यक्षवाद वास्तविक ज्ञान पर आधारित है, न कि काल्पनिक ज्ञान पर। वास्तव में कॉम्टे के प्रत्यक्षवाद में संयोग (Chance), अनुमान (Speculation), कल्पना, भावना आदि को कोई स्थान नहीं है। वह किसी भी निरपेक्ष विचार (Absolute idea) को स्वीकार करने के पक्ष में नहीं है। प्रत्यक्षवादी चिन्तन विशुद्ध रूप से वैज्ञानिक है, जिसमें सत्य का निरूपणअनुमान पर नहीं,

अपितु अनुभव और परीक्षण से प्राप्त यथार्थ ज्ञान पर आधारित होता है। इसके अतिरिक्त धार्मिक या काल्पनिक आधार पर जो निष्कर्ष निकाले जाते हैं, वे सत्य भी हो सकते हैं और असत्य भी, क्योंकि उनमें संयोग व अनुमान का अंश रहता है, परिणामस्वरूप इस प्रकार के अनुमानित निष्कर्षों पर विश्वास करके यथार्थता को प्राप्त करना संभव नहीं है। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रत्यक्षवाद यथार्थ ज्ञान की प्राप्ति पर बल देता है, इसलिए वह वास्तविकता से सम्बन्धित है।


(3) वैज्ञानिक या निष्पक्ष दृष्टिकोण (Scientific or Objective Attitude) - प्रत्यक्षवाद वैज्ञानिक दृष्टि अर्थात् निरीक्षण, परीक्षण, वर्गीकरण आदि के द्वारा सामाजिक घटनाओं का अध्ययन करता है। डॉ. ब्रिजेज (Dr. Bridges) ने इस दृष्टि या विशेषता को एक उदाहरण के द्वारा स्पष्ट करने का प्रयास किया है। आपने लिखा है, "यदि एक व्यक्ति विष खाकर मर जाता है तो इस घटना को धर्मवादी 'ईश्वरी इच्छा' या देवीय विधान (Divine Law) का फल मान लेगा, तत्त्वज्ञानी (Metaphysician) मिलन और वियोग के स्वाभाविक नियम की अन्तिम स्थिति अर्थात् अन्तिम वियोग कहकर इस घटना के प्रति अपना मत प्रकट कर देगा, जबकि एक डॉक्टर अर्थात् प्रत्यक्षवाद वैज्ञानिक एकाएक इस घटना के विषय में कोई मत प्रकट नहीं करेगा, वरन् वह मृत व्यक्ति का निरीक्षण-परीक्षण करके विषय के तत्वों का विश्लेषण और मृत व्यक्ति की दशाओं में सम्बन्ध की खोज करने के उपरान्त ही कहे गये मत की पुष्टि या अपुष्टि करेगा।" इस प्रकार प्रत्यक्षवाद वैज्ञानिक आधार या वैज्ञानिक दृष्टि से ज्ञान प्राप्ति पर बल देता है और वह अपने को दैवीय इच्छा, काल्पनिक भावनाओं या मनगढ़न्त आधारों से परे रखता है। अतः स्पष्ट है कि प्रत्यक्षवाद की दृष्टि पूर्णतया वैज्ञानिक एवं निष्पक्ष है।


(4) वैज्ञानिक प्रणाली (Scientific Process) प्रत्यक्षवाद कल्पना या भावना से परे है और वह अध्ययन की वैज्ञानिक पद्धतियों का अनुसरण करता है। प्रत्यक्षवाद अध्ययन प्रणाली में सर्वप्रथम अध्ययन की जाने वाली घटना या समस्या का चुनाव किया जाता है, इसके पश्चात् घटना का निरीक्षण किया जाता है और सम्बन्धित तथ्यों को संकलित किया जाता है। फिर इन तथ्यों का समानताओं व विभिन्नताओं के आधार पर वर्गीकरण किया जाता है। अन्त में विश्लेषण के आधार पर घटना या समस्या से सम्बन्धित निष्कर्ष निकाले जाते हैं। इस प्रकार निरीक्षण, परीक्षण, प्रयोग, वर्गीकरण आदि की वैज्ञानिक प्रणाली के द्वारा सामाजिक घटनाओं की वास्तविकता को जाना जाता है। कुछ भी हो, यह कहना उपयुक्त ही है कि प्रत्यक्षवाद की एक महत्वपूर्ण विशेषता अध्ययन में वैज्ञानिक प्रणाली का अनुसरण करना है।


(5) ज्ञान से सम्बन्धित (Concerned with Knowledge) कॉम्टे का प्रत्यक्षवाद का क्षेत्र केवल घटनाओं की क्रियाशीलता को संचालित करने वाले नियमों की खोज तक सीमित है। घटनाओं व तत्वों के बाहर या उनसे परे यह किसी अज्ञात या अप्रत्यक्ष शक्ति को पाने का प्रयास नहीं करता। यद्यपि कॉम्टे उन रहस्यमयी शक्ति के प्रति पूर्ण रूप से जागरूक है, जो समस्त प्राकृतिक या सामाजिक घटनाओं के पीछे क्रियाशील रहती है, किन्तु वह शक्ति अदृश्य होने के कारण प्रत्यक्षवाद के अध्ययन क्षेत्र में नहीं आती। वास्तव में प्रत्यक्षवाद तो अपने को केवल उन घटनाओं या घटना से सम्बन्धित तथ्यों तक सीमित रखता है जिन्हें प्रत्यक्ष तौर पर देखा जा सकता है और जो अनुभव, प्रयोग, परीक्षण व वर्गीकरण के उपयुक्त हों। इस सन्दर्भ में कॉम्टे के दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए डॉ. ब्रिजेज (Bridges) ने लिखा है, "कॉम्टे घटनाओं की दुनिया के उस पार पाये जाने वाले गूढ़ रहस्य के बारे में पर्याप्त सचेत थे। इसे आप प्रत्येक कदम पर उसी प्रकार अनुभव करते रहे जिस प्रकार एक नाविक उस अथाह समुद्र के विषय में सचेत रहता है, जिसके कि मध्य से होकर उसे अपना मार्ग तय करना होता है, लेकिन चूंकि उस रहस्य को जान लेना मनुष्य के वश ही बात नहीं है इसलिए उसे अपनी क्रियाओं को उस क्षेत्र की ओर मोड़ना पड़ता है जहाँ कि वे फलीभूत हो सकें।"

अतः स्पष्ट है कि प्रत्यक्षवाद केवल कैसे का उत्तर खोजने का प्रयास करता है अर्थात् उन नियमौ-उपनियमों का पता लगाने का प्रयास करता है जो घटनाओं की क्रियाशीलता से सम्बन्धित रहते हैं।


 (6) धर्म और विज्ञान दोनों(Religion & Science Both) कॉम्टे का प्रत्यक्षवाद केवल विज्ञान ही नहीं, यह धर्म भी है। उसका प्रत्यक्षवाद विज्ञान को अध्ययन और प्रगति का साथन मानता है, साध्य नहीं। प्रत्यक्षवाद परहित व लोक कल्याण की भावना से प्रेरित मानवता के धर्म के द्वारा समाज के पुनर्निर्मित लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता है। कॉम्टे का प्रत्यक्षवाद एक ऐसा वैज्ञानिक सिद्धान्त है जिसका लक्ष्य सम्पूर्ण मानव समाज के भौतिक, बौद्धिक तथा नैतिक कल्याण में अभिवृद्धि करना है। इस प्रकार कॉम्टे के प्रत्यक्षवाद में विज्ञान और धर्म का विरोध नहीं है, वरन् उन दोनों का समन्वय व ताल-मेल है।


(7) सामाजिक पुनर्निर्माण का आधार (Basis of Social Reconstruction) - सामाजिक घटनाओं व समस्याओं के यथार्थ ज्ञान पर आधारित प्रत्यक्षवाद समाज को एक नवीन वैज्ञानिक समाज व्यवस्था प्रदान करने का दावा करता है। प्रत्यक्षवाद व्यावहारिक योजना को प्रस्तुत करता है जिसके आधार पर एक ऐसी समाज-रचना संभव हो सकती है जिसमें सभी मनुष्य मिल-जुलकर प्रेम और स‌द्भावनापूर्ण जीवन व्यतीत करते हुए समाज में भय, दण्ड, असुरक्षा, स्वार्थ जैसी भावनाएँ नहीं होगी। प्रत्यक्षवाद पर आधारित सामाजिक पुनर्निर्माण की कॉम्टे द्वारा निर्धारित योजना की व्याख्या करते हुए डॉ. ब्रिजेज (Dr. Bridges) लिखता है -


"समाज के इस पुनर्निर्माण में प्रत्यक्षवाद समस्त हिंसात्मक प्रणालियों का बहिष्कार करता है।" यह अभिव्यक्ति तथा प्रोत्साहन के द्वारा कार्य करता है, बल प्रयोग के द्वारा नहीं। इसकी प्रणाली है सिद्धान्त से प्रेम करो, व्यवस्था को आधार मानो, प्रगति को लक्ष्य मानो, नैतिकता की दृष्टि से इसका सूत्र है -"दूसरों के लिये जियो।"


- उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि प्रत्यक्षवाद एक वैज्ञानिक धारणा है जो निरीक्षण, परीक्षण, अनुभव, वर्गीकरण आदि की वैज्ञानिक प्रणाली के द्वारा सामाजिक समस्याओं व घटनाओं का वास्तविक ज्ञान प्राप्त करके समाज की भौतिक, बौद्धिक और नैतिक प्रगति के निश्चित नियमों का पता लगाता है और जो इस वैज्ञानिक चिन्तन के आधार पर एक ऐसे समाज का पुनर्निर्माण करना चाहता है जहाँ प्रेम, त्याग, सेवा, सहानुभूति, परोपकार आदि की भावना से ओत-प्रोत मानवता का धर्म प्रतिष्ठित होगा।

चैम्बलिस (Chambliss) महोदय ने कॉम्टे के प्रत्यक्षवाद की विशेषताओं का संक्षिप्त और आलोचनात्मक विवरण देते हुए लिखा है- "अतः कॉन्टे ने स्वीकार किया है कि प्रत्यक्षवाद नास्तिक है क्योंकि वह किसी भी रूप में अलौकिकता से सम्बन्धित नहीं है। उसने यह भी दावा किया है कि प्रत्यक्षवाद भाग्यवादी नहीं है, क्योंकि वह स्वीकार करता है कि बाहरी अवस्था में परिवर्तन हो सकता है। वह आशावादी नहीं हैं, क्योंकि उसमें आशावाद के आध्यात्मिक आधार का अभाव है, वह भौतिकवादी भी नहीं है, क्योंकि वह भौतिक शक्तियों को बौद्धिक शक्तियों के अधीन मानता है। प्रत्यक्षवाद काल्पनिक की अपेक्षा यथार्थ से सम्बन्धित है, समस्त ज्ञान की अपेक्षा उपयोगी ज्ञान से, उन निश्चित तथ्यों से जिनका पूर्व-ज्ञान सम्भव है। इसका सम्बन्ध स्पष्ट ज्ञान से है न कि अस्पष्ट अनुमानों से, निरन्तर गतिशील सावयवी सत्य से है न कि अनन्त स्थितियों से और सापेक्ष से है न कि निरपेक्ष से। अन्त में प्रत्यक्षवाद इस अर्थ में सहानुभूतिपूर्ण है कि यह उन सबको सखा भाव से बाँधता है जो इसकी मूल भावना और पद्धतियों को स्वीकार करते हैं। संक्षेप में प्रत्यक्षवाद (विज्ञान) वह चिन्तन प्रणाली है जो सार्वभौमिक रूप से ग्रहण की जा सकती है।"


प्रत्यक्षवाद का विभाजन (Division of Positivism)


प्रत्यक्षवाद एक वैज्ञानिक सिद्धान्त के तौर पर समाज की भौतिक, बौद्धिक और नैतिक प्रगति करना चाहता है। यह प्रगति विशेष प्रकार के निर्देशों और शिक्षा के द्वारा सम्भव होती है। इस दृष्टि से प्रत्यक्षवाद को अग्रांकित तीन भागों में बांटा जा सकता है -

(1) विज्ञानों का दर्शन (Philosophy of Sciences) - प्रत्यक्षवाद का यह विभाग मनुष्यों को लोक कल्याण तथा सुधार की दृष्टि से अपने ही परिश्रम और प्रयत्न पर विश्वास करने के लिए प्रेरित करता है। मनुष्य स्वयं अपने भाग्य का निर्माता है। इस दर्शन के अन्तर्गत गणित, खगोलशास्त्र, भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र, प्राणिशास्त्र, समाजशास्त्र आदि आ जाते हैं।


(2) वैज्ञानिक धर्म व नीति (Scientific Religion and Ethics) - प्रत्यक्षवादी धर्म तो मानवता का धर्म है। इस प्रत्यक्षवादी धर्म में नीति का सिद्धान्त निम्न प्रकार है - परहित के लिए अधिक से अधिक योग्य बनाने के लिए शारीरिक, बौद्धिक और नैतिक शक्तियों का सन्तुलित विकास करना। (3) प्रत्यक्षवादी राजनीति (Positive Politics) - इसका उद्देश्य है युद्ध को समाप्त करके यूरोप के समस्त राज्यों को मिलाकर एक मित्र राष्ट्र की स्थापना करना।


अतः स्पष्ट है कि "प्रत्यक्षवाद एक वैज्ञानिक सिद्धान्त है जो वैज्ञानिक विधियों द्वारा समाज का अध्ययन करता है, यह एक धर्म है जो वास्तविक आधार पर समस्त मानव समाज को भौतिक, बौद्धिक और नैतिक प्रगति की ओर ले जाने का प्रयास करता है, यह एक नीति और व्यवस्था है जिसमें प्रेम का राज्य होगा, शान्ति और सुव्यवस्था का शासन होगा।"

Surendra yadav

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