भूकंप क्या है Earthquake Kya Hai
पृथ्वी की पर्पटी के नीचे होने वाली संर्वाधिक प्रमाणिक गतिविधि Earthquake हैं। ये हल्के झटकों से लेकर प्राणघाती झटकों की तीव्रता के आधार पर मापे जाते हैं। भूकंपों से जीवधारियों के जीवन और उनकी संपत्ति को सर्वाधिक क्षति पहुँचती है।
टेक्टॉनिक गतियाँ पृथ्वी के गर्भ में कंपन (हलचल) उत्पन्न करने वाली गतियाँ हैं। जिस बिंदु पर इन कंपनों की उत्पत्ति होती है, वह 'भूकंप का केंद्र' कहलाता है। पृथ्वी के तल पर केंद्र के ठीक ऊपर का बिंदु भूकंपीय का अभिकेंद्र कहलाता है।
भूकंपी कंपन केंद्र से भूकंपी लहरों के रूप में विभिन्न दिशाओं में गति करते हैं। ये लहरें बाहर की ओर ठीक उसी तरह बढ़ती हैं जैसे एक शांत तालाब में पत्थर फेंकने से गोल-गोल लहरें परिधि की ओर बढ़ने लगती हैं। इन कंपनों के कारण विभिन्न तीव्रता और परिमाण वाले भूकंप आते हैं।
भूकंप की लहरों/तरंगों का मापन भूकंपसूचक नामक यंत्र से किया जाता है। एक भूकंप की तीव्रता का मापन रिक्टर पैमाने से किया जाता है।
रिक्टर पैमाने पर संख्या (0-9) बढ़ने के साथ ही विनाश की सीमा भी बढ़ती जाती है। भूकंप के प्रभावों को मरकैाली पैमाने पर मापा जाता है। इस पैमाने पर 12 वर्ग होते हैं। इस पैमाने पर मापन के कुछ वर्ग और उनके प्रभाव निम्नलिखित हैं :
वर्ग मापन प्रभाव
1 से 3 = केवल कुछ जीवों द्वारा ही महसूस किया जाता है।
4 से 6 = सभी महसूस करते हैं।
7 से 11 = जो इमारतें भूकंपरोधी नहीं होतीं,वेपूर्णत: नष्ट हो जाती हैं।
11 से 12 = भयंकर विनाश होता है।
पृथ्वी की सतह के कुछ क्षेत्र अत्यधिक भूकंप संभावित क्षेत्र हैं। उदाहरणार्थ, टेक्ट्रॉनिक प्लेटों की सर्वाधिक गति वाला प्रशांत महासागर का समीपवर्ती क्षेत्र, जहाँ पर भूकंप के लगातार झटके महसूस होते रहते हैं।
भूकंप के प्रभाव Effect Of Earthquake
अधिक तीव्रता वाला भूकंप विनाशकारी हो सकता है। भूकंप के प्रभाव निम्नलिखित हैं :
1. सड़कों और रेल की पटरियों के टूटने से परिवहन व्यवस्था ठप्प हो जाती है।
2. भूकंपों से सर्वाधिक क्षति घरों के गिरने से होती है। घरों के गिरने से उनमें रहने वाले हजारों लोगों की दबकर मृत्यु हो जाती है।
3. कभी-कभी भूकंप-प्रभावित क्षेत्रों में आग भी लग जाती है। इससे अधिक क्षति और विनाश होता है।
4. यदि भूकंप नदी पर बनाए गए बाँध या अन्य जलाशयों में दरार पैदा करते हैं तो इससे बाढ़ आ जाती है तथा होने वाली क्षति की मात्रा और अधिक बढ़ जाती है।
5. भूकंप आने से विद्युत उत्पादन संयंत्र, नाभिकीय संयंत्र और अन्य बड़ी-बड़ी औद्योगिक इकाइयाँ नष्ट हो सकती हैं तथा इससे राष्ट्र की संपत्ति को अधिक मात्रा में हानि पहुँचती है।
6. यदि भूकंप समुद्र के तल पर आता है तो समुद्र में उच्च तीव्रता वाली लहरें और ऊँचाई के साथ ज्वार-भाटा आते हैं। ये लहरें समुद्रं-तटीय क्षेत्रों में जीवन और संपत्ति को बहुत नुकसान पहुँचाती हैं। चूँकि ये ऊँची और शक्तिशाली लहरें एक बड़े तटीय क्षेत्र को डूबो देती हैं और भयावह विनाश करती हैं।
उदाहरणार्थ, 26 दिसंबर 2004 को समुद्र-तल पर उत्पन्न हुई Tsunami ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भारी तबाही मचाई। हजारों लोग लापता हो गए और लाखों लोग बेघर।
भारत में भूकंप-प्रभावित क्षेत्र (Areas Prone to Earthquake in India)
Himalaya, गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानों और उसके आस-पास के क्षेत्रों में भूकंप आने की संभावना होती है। भारत की राजधानी दिल्ली और व्यापारिक राजधानी मुंबई दोनों रिक्टर पैमाने पर क्षेत्र-4 में हैं। दक्कन के पठार में भी- 1993 में लातूर (रिक्टर पैमाने पर 6.4) और 1967 में कोयना (रिक्टर पैमाने पर 6.5) भूकंप आ चुके हैं। पहली दृष्टि में इससे सिद्ध होता है कि प्रायद्वीपीय भारत भी भूकंप-प्रभावित क्षेत्र है।
भूकंप आपदा का प्रबंधन (Management of Earthquake Disaster)
1. भूकंपीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आपदा में अपनाई जाने वाली सावधानियों के बारे में जानकारी देनी चाहिए।
2. इमारतों की नींव को Earthquake में खड़े रहने योग्य बनाना चाहिए।
3. नदी के बाँधों और पुलों में इस्पात तथा भूकंप- रोधी सामग्री का प्रयोग किया जाना चाहिए।
4. भूकंप-प्रभावित क्षेत्रों में वक्राकार अथवा पिरामिड के आकार के घर बनाए जाने चाहिएँ।
5. घरों और अन्य सार्वजनिक इमारतों को अग्निरोधी बनाया जाना चाहिए जिससे विद्युत चिंगारी से लगी आग को नियंत्रित किया जा सके।
भूकंप सुरक्षा सूचना Earthquake Safety Information
1. अपने घर से बाहर आ जाइए और Earthquake थमने तक किसी खुले स्थान पर रहिए।
2. विद्युत, गैस और पानी की आपूर्ति को रोक दीजिए।
3. भूकंप के समय कोई वाहन न चलाइए।
4. स्वयं को भारी वस्तुओं से दूर रखिए। वे आपके ऊपर गिर सकती हैं।
5. शांत रहिए।
6. यदि आप किसी सिनेमाघर या अन्य किसी भीड़-भाड़ वाली इमारत में हैं तो भागने की अपेक्षा किसी सुरक्षित स्थान पर, जैसे- मेज के नीचे, स्वयं को छिपा लीजिए।
भूकंप के बाद सुरक्षा After Earthquake Safety
एक विनाशकारी भूकंप अत्यधिक क्षति पहुँचाता है। भूकंप के बाद स्वयं को शांत बनाए रखिए और क्षतिग्रस्त लोगों की सहायता कीजिए। हमारा यह सामाजिक और नैतिक कर्त्तव्य है कि हम भूकंप-पीड़ित लोगों को यथासंभव सहायता प्रदान करें। हमें भूकंप के बाद आने वाले झटकों के लिए तैयार रहना चाहिए। भूकंप आने के बाद प्रायः अन्य झटके भी महसूस किए जाते हैं।
हमें बचाव कार्य में लगे दलों का सहयोग करना चाहिए। हमें पीड़ित व्यक्तियों की मदद करनी चाहिए। शांत रहिए और पीडित व्यक्तियों के सगे-संबंधियों को सांत्वना दीजिए।