ज्वालामुखी कैसे बनते है? How are volcanoes formed?
ज्वालामुखी Volcano पृथ्वी की पर्पटी में बनने वाला एक छेद (मुख) है जिससे गर्म गलित द्रव्य निकलकर पृथ्वी की सतह पर फैलता है। पृथ्वी की सतह पर पहुँचने वाला यह गलित तत्त्व लावा कहलाता है, और जिस रास्ते से होकर यह बाहर निकलता है, उसको निकास-मुख कहा जाता है।
ज्वालामुखी Volcano से बाहर फेंका गया लावा और अन्य सामग्री इसके मुख के चारों ओर इकट्ठा होने लगती है तथा एक शंक्वाकार पहाड़ी या एक पर्वत बनाती है। इस शंकु का सिरा एक कीप के दबे हुए भाग जैसा दिखाई देता है। कभी-कभी गलित द्रव्य सतह पर धीरे-धीरे ऊपर उठता रहता है तथा एक विशाल क्षेत्र में फैलता जाता है। इसको लावा-प्रवाह या लावा-तल कहा जाता है। कुछ पठार और मैदान इसी तरह से बने हैं। उदाहरणार्थ, भारत में दक्षिण का पठार और उत्तर अमेरिका में कोलंबिया का पठार।
ज्वालामुखी Volcano से लावा के अतिरिक्त राख, भाप, गैसें और चट्टानों के टुकड़े भी बाहर निकलते हैं। लावे का प्रवाह चिपचिपा होने से रुकता जाता है। यह चिपचिपा द्रव्य पदार्थ वस्तुओं को आगे की ओर बढ़ने से रोकता है। उदाहरणार्थ, शहद में चिपचिपा पदार्थ उच्च मात्रा में होता है, इसीलिए वह धीरे-धीरे बहता है।
लावे की चिपचिपाहट गलित द्रव्य में जल तथा सिलिका की विद्यमान मात्रा से अवधारित होती है। कम चिपचिपे लावे में सिलिका कम, लेकिन जल की मात्रा अधिक होती है। इसीलिए यह तेज गति से बहता रहता है।
ज्वालामुखी के प्रकार Types of Volcano
ज्वालामुखी का आकार लावे की किस्म और विस्फोट बल पर निर्भर करता है। आकार के आधार पर ज्वालामुखी Volcano तीन प्रकार के पाए जाते हैं - परिरक्षित ज्वालामुखी, अवस्कर-शंकु ज्वालामुखी तथा संग्रथित ज्वालामुखी।
1. परिरक्षित ज्वालामुखी
यह ज्वालामुखी में लावे के शांत (मंद) विस्फोट से बनता है। इस लावे में सिलिका या रेत कम मात्रा में होती है। ऐसे ज्वालामुखी का आधार चौड़ा होता है तथा हल्की ढाल वाला एक शंकु जैसा आकार होता है। हवाई द्वीप (अमेरिका) में पाए जाने वाले ज्वालामुखी Volcano इसी प्रकार के हैं।
2. अवस्कर-शंकु ज्वालामुखी
लावे का रेतयुक्त रूप गैसों के साथ तब तक क्रिया करता है, जब तक भीतरी दबाव इतना तीव्र नहीं बढ़ जाता कि लावा पृथ्वी की पर्पटी को फोड़कर बाहर बहने लगे। विस्फोट के समय ऐसा ज्वालामुखी Volcano गैस, राख आदि को वायुमंडल में कई किलोमीटर की ऊँचाई तक फेंक देता है। इन ज्वालामुखियों की तीक्ष्ण ढलान होती है तथा ये राख और अवस्कर से बने होते हैं। इनको अवस्कर-शंकु ज्वालामुखी कहते हैं।
3. संग्रथित ज्वालामुखी
ऐसे ज्वालामुखी Volcano लावा के लगातार होने वाले विस्फोटों में बनते हैं। ये ज्वालामुखी लावा अवस्कर अर्थात् राख की एकांतर पर्तों से बने होते हैं। संग्रथित ज्वालामुखी का श्रेष्ठ उदाहरण जापान का फ़्यूजीयामा पर्वत है।
ज्वालामुखी पर्वतों का वितरण (Distribution of Volcanoes)
संपूर्ण विश्व में पाँच सौ से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी पर्वत हैं। सुप्त और मृत ज्वालामुखी Volcano बहुत हैं। अधिकांश सक्रिय ज्वालामुखी फिलीपींस, जापान, इंडोनेशिया, एशिया और दक्षिण अमेरिका के एंडीज पर्वतों में है। प्रशांत महासागर के चारों ओर ज्वालामुखी पर्वतों की एक गोलाकार पट्टी है। साधारण भाषा में इसको 'आग का गोला' कहा जाता है। भूमध्य सागर की पर्वत-श्रेणियों में ज्वालामुखी पर्वतों की दूसरी पेटी देखी जाती है।
ज्वालामुखी विस्फोट के प्रभाव (Effects of Volcano Eruption)
- ज्वालामुखी Volcano फटने से अत्यधिक गरम लावा निकलता है। यह लावा नज़दीकी सड़कों, इमारतों और फसलयुक्त भूमि पर फैलता है। मनुष्य सहित सारे जीवधारी इसकी चपेट में आकर समाप्त हो जाते हैं। इस प्रकार यह बड़े स्तर पर जीवन और संपदा को क्षति पहुँचाता है।
- लावा उपजाऊ भूमि पर फैलकर उसे अनुपजाऊ बना देता है।
- ज्वालामुखी से कई विषैली गैसें बाहर निकलती हैं और पर्यावरण प्रदूषित करती हैं।
- लावा से निकलने वाली असीमित भाप से बादल बनते हैं और भारी वर्षा होती है।
- समुद्र-तटीय क्षेत्रों में ज्वालामुखी फटने से ऊँची और तेज़ लहरें उत्पन्न होती हैं जो आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त कर देती हैं।
ज्वालामुखी विस्फोट के प्रभावों को न्यूनतम करने के उपाय (Measures to Reduce the Impacts of Volcano Eruption)
- सक्रिय और असक्रिय ज्वालामुखियों के बारे में लोगों को जानकारी देनी चाहिए।
- ज्वालामुखी Volcano क्षेत्र में होने वाली प्रतिदिन की क्रियाओं पर नज़र रखनी चाहिए।
- सुरक्षात्मक योजनाओं और प्रभावशाली चेतावनियों द्वारा लोगों के जीवन और संपत्ति को बचाया जा सकता है।